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[ १३ ] चिरञ्जीव जेठमल सेठिया ने भी इस प्रन्थ की हस्त लिखित प्रति का आद्योपान्त अवलोकन करके जहां तहां आवश्यक मंशोधन किये हैं।
इसके अतिरिक्त इस ग्रन्थ के प्रणयन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मुझे जिन जिन विद्वानों की सम्मतियों और ग्रन्थ कर्ताओं की पुस्तकों से लाभ हुआ हैं । उनके प्रति में विनम्र भाव से कृतज्ञ हूँ।
निवेदकःवृलन प्रेम विल्डिंगम)
भैरोंदान सेठिया बीकानेर