Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 9
________________ जैन-लक्षणावली ६५ कर्मविपाक (६०), ६६ गोम्मटसार (६०), ६७ लब्धिसार (६४), ६८ त्रिलोकसार (६५), ६६ पंचसंग्रह संस्कृत (६६), १०० जंबूदीवपण्णत्ती (३७), १०१ कर्मस्तव (३६), १०२ षडशीति (६६), लक्षणवैशिष्ट्य ७०-८५ प्राकृत शब्दों की विकृति और उनका संस्कृत रूपान्तर ८६-७ शुद्धि-पत्र ८८ जैन-लक्षणावलो (प्र-ौ) १-३५२ परिशिष्ट १-२२ लक्षणावली में उपयुक्त ग्रन्थों की अनुक्रमणिका ग्रन्थकारानुक्रमणिका शताब्दीक्रम के अनुसार ग्रन्थकारानुक्रमणिका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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