Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 09 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 69
________________ CHAMATLAamMILAMAmaimum बाल-विवाह। ४८७ हानिकारक होता है। अक्सर ऐसी अव- ६ बालमाताओंको असह्य कष्ट होते हैं। स्थाका गर्भ नष्ट हो जाता है। बालगर्भधा- जैसे हमल गिर जाता है और उनकी रिणीको बच्चोंके जन्म समय अत्यन्त कष्ट आत्माको दुःख पहुँचता है । मरा हुआ बच्चा होता है और बहधा उसकी मृत्य हो जाती पैदा होता है, इससे भी उनको कष्ट उठाना है । यदि इस कठोर कष्टसे प्राण न निकला, पड़ता है । जिन्दा पैदा होकर तुरन्त मर तो बच्चा कोमल अंग चूसचस कर उन्हें जाता है और मरना बिना तकलीफके नहीं इतना निर्बल कर देता है और दसरी या होता । बच्चा इतना कमजोर पैदा होता है तीसरी बार तक उनका शरीर ऐसा निर्बल कि दूध नहीं पी सकता । बच्चा कुछ दिनोंहो जाता है कि वे जीवनपर्यंत आरोग्य नहीं तक जिन्दा रहता है, पर उसका शरीर रह पातीं, बल्कि प्रसूतक्षय या और किसी क्षीण होता रहता है और जल्द ही मर असाध्य रोग द्वारा उनका अन्त अवश्य जाता है । बच्चा सब आपत्तियोंसे बचकर ही हो जाता है। बड़ा होकर निर्बल स्त्री या पुरुष होता है ___ + ५ पच्चीस बाल-गर्भवती स्त्रियोंकी। है और जिन्दगी भर कष्ट भोगता रहता है। जाँच की गई जिससे मालूम हुआ कि ५ लड़ , गत मनुष्यगणनाकी रिपोर्टसे ज्ञात होता कियोंका गर्भ गिर गया, ३ बच्चा जननेके - है कि बाल्यावस्थाका गर्भ अक्सर गिर जाता वक्त मर गई, ५ को जननेके समय अत्यन्त ह है। पहले दो तीन बच्चे जो बालमाताओंसे कष्ट हुआ और उनके पेटसे बच्चे औजारोंके उत्पन्न होते हैं अक्सर मर जाते हैं और जरिये निकाले गये, ५ को प्रसतका रोग ऐसे बच्चे कमजोर, नाटे, दुर्बल, आयपर्यन्त हो गया, २ बच्चा पैदा होनेके कारण अत्यंत रोगी और अल्पायु होते हैं । एक हजार निर्बल होकर मर गई, ३ दूसरी बार बच्चा बच्चामा २२३ 6 बच्चोंमेंसे ३३३ बच्चे एक वर्षकी आयुमें मर जनते समय मर गई और २ तीसरी बार जात जाते हैं, अर्थात् हर तीन बच्चों से एक बच्चा वच्चा जनते समय मर गई । अत्यन्त कष्ट मर जाता है। उठाकर जो मरनेसे बच गई, उनमेंसे १२ भारतके नवयुवक, प्रायः सभी पेशाब, की तन्दुरुस्ती जन्म भरके लिए बिगड गई। पेचिश या बुखारके रोगसे दुखी रहते हैं। अर्थात् कुल २५ मेंसे १० तो मर गई यहाँ पेशाबकी बीमारियोंसे सारी दुनियाँसे और १२ जन्मरोगिणी हो गई; केवल ३ अधिक लोग मरते हैं-फी सैकड़ा १५ लडकियाँ अच्छी रहीं। नवयुवक इस रोगके ग्रास बनते हैं । + Dr. D. C. Shome, Medical congress, किया है कि भारतवासियोंकी तन्दुरुस्ती भारतके प्रधान प्रधान डाक्टरोंने निश्चय Calcutta, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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