Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 09 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 72
________________ ४९० जैनहितैषी । यदि अमरीका या इंग्लैण्डकी यही दशा रहती तो वहाँकी लड़कियाँ भी इतनी ही जल्द सयानी होतीं । अमरीका में भी बेचारी असहाय, समाजसे गिरी हुई ११-१२ व र्षकी लड़कियाँ ( Prostitutes ) बाज बा तोमें १७-१८ वर्षकी स्त्रियोंकीसी जान पड़ती हैं। और किसी भी देशकी लड़की हो, वह यदि उसी बुरी तरह पर रक्खी जायगी तो उन गिरी हुई बाजारू लड़कियोंकी तरह बहुत जल्द सयानी हो जायगी । देहातोंके मुकाबले शहरोंमें हर देश में लड़कियाँ जल्द सयानी हो जाती हैं, क्योंकि शहरें में इन लड़कियोंके उभाड़नेके समान ज्यादा पाये जाते हैं । + arat जल्द बुलाने के लिए कोई और चीज उतना काम नहीं करती जितना कि प्रेमकी बातें करती हैं । बेहूदे किस्से और खेल, याब को यह याद दिलाते रहना कि वे अब जवान हो गये, या यह कि उनकी युवा अवस्था अब निकट है, ये सभी जवानीके आमंत्रणके समान हैं । सुप्रसिद्ध वैद्य धन्वन्तरी सुश्रुतमें बताते हैं कि भारतमें " कन्या बारह वर्षकी आयुमें रजस्वला होती है और यह रजोधर्म पचास वर्ष की आयु में अकसर बन्द हो जाता है ।" भूमण्डल के अन्य देशो में भी रजस्वला होनेका यही नियम है । अत्यन्त ठण्डे इंग्लैण्डमें भी इ + The origin of Life by F. Holick page 378. Jain Education International सी आयुमें लड़कियाँ रजस्वला हुआ करती हैं। वहाँ पर भी १२ से १७ वर्षमें, और कभी क भी नौ वर्षकी आयुमें ही लड़कियाँ रजस्वला हो जाती हैं और ४५ - ५० वर्ष तक हुआ करती हैं । * इंग्लैण्ड के 'चिस्टर लाइन इन' अस्पतालमें ३४० लड़कियोंकी परीक्षा ली गई, तो उनमें से १० लड़कियाँ ११ वर्षकी आयुमें, १९ बारह वर्ष की आयुमें, १३ तेरह वर्ष में ८५ चौदहमें, ९७ पन्द्रहमें और ७६ सोलह वर्ष की आयु में रजस्वला हुई । भारतमें २७ गोरी लड़कियोंकी जाँच हुई, उनमें से - ४ लड़कियाँ १२ – १३ वर्ष के बीचमें, ८ १३ – १४ के : बीचमें, ९ ५ " १४ – १५ में, १५–१६ में और, १ लड़की १६ – १७में रजस्वला हुई । गोरी लड़कियाँ इतनी जल्द रजस्वला हुई डा० हटक्लिन्स कहते हैं कि " दो कि वे ग्यारह वर्ष सात महिनेकी आयुमें मातायें बन सकती थीं । र्टसन कहते हैं कि " भारत और इंग्लैण्ड दोनों जगह नौ वर्षकी लड़कियाँ हुआ करती हैं या हो सकती हैं । 99 डा० राब रजस्वला 19 * "" 79 इन महान् पुरुषों के वाक्योंसे प्रकट होता है कि दुनियाँमें रजस्वला होने का समय प्रकृ * Medicl Jurisprudence by R. Chevers, pages 672-692. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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