Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 09 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 73
________________ बाल-विवाह। ४९१ तिने एकसा रक्खा है। अब यह देखना सोलह वर्षकी लड़कियोंके लिए एक घर है कि क्या अन्य देशोंमे भी कभी बाल-विवा- बनना चाहिए, क्योंकि ऐसी कम उमरकी हकी चाल थी और क्या उन देशोंमें भी लड़कियोंकी दर्खास्ते उन लोगोंको हमेशा बाल-मातायें हुआ करती थी ? नामंजूर करना पड़ती थीं। * बालविवाहका रिवाज लगभग सब मारिसका विवाह आठ वषकी आयुमें देशोंमें था जबतक कि वे देश असभ्यावस्थामें हुआ और १४ वर्षके पहले ही उन्हें लड़का थे। यहाँतक कि इंग्लैण्डमें भी अट्ठारहवीं हुआ है । बरजीनियाँ नगरमें एक १३ वर्षकी शताब्दीके शुरू तक यह कुरीति जारी थी। लड़कीको बिना किसी अधिक कष्टके लड़का + फ्रांसके राजा फिलिपने इंग्लैण्डकी राज- पैदा हुआ * । इंग्लैण्डमें एक युवती स्त्री कुमारीको १२ वर्षकी छोटी आयुमें ब्याहा दस वर्षके लडकेके साथ सो रही थी। उसके था । आपकी दूसरी राजकुमारीका विवाह नौ हृदयमें पाप समाया और उसने यह सोचकर वर्षकी आयुमें हुआ। जब इंग्लैण्डके राजा कि उस लड़केके साथ विषय करनसे गर्भका रिचर्डका विवाह फ्रांसकी राजकुमारीसे हुआ भय नहीं है, भोग किया । पर उसे गर्भ उस समय राजकुमारीकी आयु कुल आठ रह गया और बड़ी जिल्लत और शर्म उठानी वर्षकी थी । * एलिजबेथ हार्डविकका विवाह पड़ी । । एक दस वर्ष १३ दिनकी लड़१३ वर्षकी आयुमें हुआ । * आडरे ( सौथ कीके लड़की पैदा हुई । उसका वजन ७ एम्पटनके अर्लकी लड़की ) का विवाह हो पाउण्ड था । चुका था जब १४ वर्षकी अवस्थामें उसकी टेलरसाहबका कथन है कि " किसी भी मृत्यु हुई । * इंग्लैण्डके राजा हेनरी सात- देशमें नौ वर्षकी लड़कियाँ गर्भवती हो वेंके अत्यन्त निर्बल होनेका कारण यह था सकती हैं। अर्थात् ऐसा हो जाना असम्भव कि उनकी माताका विवाह कुल नौवर्षकी अव- नहीं है । स्थामें हुआ था और जब हेनरीका जन्म ____ जगत्प्रसिद्ध डाक्टर हालिक लिखते हैंहुआ तब लेडी मार्गरेटकी आयु कुल दस " मैंने एक सात वर्षके लडकेका अंग, विषय र वर्षकी थी ! * इंग्लण्डके उच्च श्रेणीके लोगोंकी करने योग्य पाया है । प्रकृतिका नियम इस प्रायः यही हालत थी; वे अत्यन्त न्यून अवस्थामें विवाह करते थे। ___ * Philadelphia Medical Examiner. April 1855. + The origin of life page 456. प्रार्थना की थी कि समाजसे गिरी दुई उससे Transylvania Journal vol. VII page * Medical Jurisprudence for India by SMedical Jurisprudence by R. Ohevers R. Chevers page 692. कई दससे 447. page 673. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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