Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 09 10 Author(s): Nathuram Premi Publisher: Jain Granthratna Karyalay View full book textPage 1
________________ भाग नहिते मो सितंबर अक्टूबर १९१६ सं०- नाथूराम प्रेमी । 綠 २२-२०१ 3 जैन समाज । तीर्थक्षेत्रोंके झगड़े, स्त्रियोंकी अज्ञानमय- दुःखमय दशा, शास्त्रोंकी रक्षा और प्रचारके काममें लापरवाही और अगु ओंकी 'भेड़ियाधसान' बुद्धिके अन्धेर; ये सब बातें देखकर शासनदेवी धनवानों, पण्डितों और बाबुओंको सम्मिलित शक्तिसे उद्योग करनेके लिए समझा रही है। www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 ... 102