Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 09 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 75
________________ बाल-विवाह ए-पहला ७८ वें वर्षमें, दूसरीबार दो एक साथ और चौथा ८१ वें वर्ष में । मिमायर्स डी ने ८० वर्षकी आयुर्मे विवाह किया और उसे तन्दुरुस्त लड़के पैदा हुए। बेगन साहब बतलाते हैं कि “ मेरे एक मित्र ७१ वर्षकी आयु में एक स्त्रीकी मुहब्बतमें फँस गये और उन्होंने उसके साथ विवाह किया । " । विज्ञानद्वारा विवाह - काल- ठ - निर्णय । हम ऊपर दिखला चुके हैं कि जन्मके कुछ ही वर्षोंके बाद से मरणके कुछ वर्ष पहले तक स्त्री और पुरुष दोनोंहीमें भोगकी शक्ति रहती है अतएव, अब विचार इस बात पर करना है कि इस शक्तिसे काम लेनेके लिए कौन उचित समय है, किस आयुमें स्त्री और पुरुष - को विवाह करनेसे हानि न होगी । तरुणता या जवानी उस अवस्थाका नाम है जब अंगोंकी प्रौढता प्रारम्भ होती है । संसारके सब देशों में, भूमण्डलकी प्रत्येक जातिमें यह अवस्था पुरुषमें सोलह वर्ष की आयुसे और स्त्रीमें बारह Sad । जन्मसे इस अवस्था तक केवल जीना और बढ़ना था; पर अब जीवकी बाढ़शक्तिका काम हड्डी और पट्टोंको पुष्ट करने के अतिरिक्त अपनी सत्र शक्तियों की उन्नति तथा सन्तानोत्पत्ति-शक्तिकी वृद्धि करना है। 1 शरीरकी सातों धातुओंमें रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्रमें नया चमत्कार आ जाता है। शुक्र या वीर्य जो अबतक मन्द था एक नये भाव से अपनी प्रधानता प्रकट क Jain Education International ४९३ 1 रके शरीररूपी नगरका राजा बन जाता है । जैसे ईखमें रस, दही में घी और तिलमें तेल है, उसी तरह समस्त शरीर में वीर्य है । तरुणता में वीर्यवृद्धि और पुष्टता होती है, अतएव शरीरके प्रयेक अंगमें पुष्टता होती है। शरीरमें बल और पराक्रमका प्रवेश होता है, चेहरा चमकने लगता है, सुडौल हो जाता है और सारे शरीरमें एक खास तरहकीं खूबसूरती आ जाती है । यद्यपि तरुणताके प्रथम चिह्न पुरुषमें १६ और स्त्रियोंमें १२ वर्षकी उमरमें क्रमानुसार दिखाई देने लगते हैं, पर वीर्य और इन्द्रियों की पुष्टिमें अभी पूरे दस वर्ष और बाकी हैं । यह समय अकंटक बीत जाने पर सर्वांग पुष्ट हो जाते हैं; शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्तियों में प्रकाश आ जाता है; शरीरमें बल और पराक्रमकी थाह नहीं रहती; मनमें उमंग, अंगमें फुर्ती और चेहेरेसे आनन्दकी झलक दिखती है । अर्थात् पुरुषोंको वीर्य और शरीर के पुष्ट होने के लिए जन्मसे २६ वर्ष और स्त्रियोंको २२ वर्ष चाहिए । इस अवस्थाके जितने ही पहले और जितने ही अधिक कच्च शरीरसे वीर्य निकलता है, शरीरकी पूर्ण पुष्टि और मानसिक आदि सब शक्तियों के लिए वह उतना ही अधिक हानिकारक होता है । अतएव विज्ञानद्वारा विचार करनेसे पुरुषोंके लिए २६ से ३२ तककी और स्त्रियों For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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