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धर्म, दर्शन और विज्ञान
धर्म, दर्शन और विज्ञान परस्पर सम्बद्ध तो हैं ही, साथ ही साथ किसी न किसी रूप में एक दूसरे के पूरक भी हैं। यह ठीक है कि इन दृष्टियों के मार्ग भिन्न-भिन्न हैं। तीनों अपनी-अपनी स्वतंत्र पद्धति के प्राधार पर सत्य की खोज करते हैं । तीनों अपने-अपने स्वतंत्र दृष्टिबिन्दु के अनुसार तत्त्व की शोध करते हैं। इतना होते हुए भी तीनों का लक्ष्य एकान्त रूप से भिन्न नहीं है। इसी दृष्टि को सामने रखते हुए हम धर्म, दर्शन और विज्ञान के लक्षणों व सम्बन्धों का दिग्दर्शन कराने का प्रयत्न करेंगे। धर्म की उत्पत्ति :
सर्वप्रथम हम यह देखने का प्रयत्न करेंगे कि धर्म की उत्पत्ति का गया कारता है। मानव-जीवन में ऐसे कौन से प्रश्न प्राये, जिनको मुलझाने के लिए मानव जाति को धर्म का प्राध्य लेना पड़ा। ऐसी कौन सी कठिनाइयां आई, जिन्हें दूर करने के लिए मनुप्यजाति के हृदय में धर्म की प्रवल भावनाएं जागत हुई।