Book Title: Jain Center of America NY 2005 06 Pratishtha
Author(s): Jain Center of America NY
Publisher: USA Jain Center America NY

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Page 45
________________ मानव मस्तिष्क का चमत्कार - शतावधान विद्या -शतावधानी पूज्य श्री मनकमुनि जी महाराज शतावधान विद्या अति प्राचीन विद्या है । शत यानि सौ तथा अवधान यानि सजागता एकाग्रता । एक साथ सैंकडों वस्तुओं पर मनमस्तिष्क की सजागता व एकाग्रता है शतावधान। भारत में सैंकड़ो वर्षों से इस विद्या का अभ्यास हो रहा है। आत्मज्ञानी श्रीमद् राजचन्द्र जी एक महान साधक तथा शतावधानी थे। शतावधान कोई दैवी चमत्कार नहीं है । मन व मस्तिष्क की क्षमताओं का विकास ही इस विद्या का रहस्य है । शतावधान में किसी शब्द, रूप या स्पर्श को सुनकर, देखकर या स्पर्शकर उसे स्मृति में धारण करना तथा गणित व ज्योतिष के माध्यम से जटिल समस्याओं का समाधान करना, ये दो तरह के मुख्य प्रयोग होते हैं। मानव मस्तिष्क प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान है। यह एक सुपर कम्प्युटर से भी अत्याधिक शक्तिशाली है । कम्प्युटर बनाया तो मानव मस्तिष्क ने ही है । वस्तु से वस्तु को बनाने वाला अधिक शक्तिशाली होगा ही । शरीर विज्ञान के अनुसार छोटे से मानव मस्तिष्क में अरबों सेल्स हैं। इतने सूक्ष्म और नाजुक सेल, कितनी तिव्र गति से इतने लंबे समय तक सतत कार्य करते हैं। दुनियां का सबसे बड़ा आश्चर्य है मानव मस्तिष्क । हमारे मस्तिष्क में जितनी क्षमता है उसका कितना प्रतिशत आदमी जीवन में उपयोग करता है। आम आदमी २ से ७ प्रतिशत ही उस क्षमता का उपयोग कर पाता है । महान वैज्ञानिक आइंस्टीन का मस्तिष्क मात्र ९ - १० प्रतिशत ही विकसित था। जब दस प्रतिशत विकसित दिमाग इतना प्रतिभाशाली हो सकता है तो कल्पना करें यदि यह दिमाग २०-३०-४०-५०-६० प्रतिशत विकसित हो जाए तो वह क्या - क्या चमत्कार कर सकता है। आज विज्ञान मस्तिष्क की क्षमता को विकसित करने की खोज में लगा हुआ है। ऐसी दवाइयां तथा अन्य साधन विज्ञान ने खोजे हैं जो मस्तिष्क को एक सीमा तक विकसित करने में सहायक होते हैं । लेकिन इनका परिणाम दीर्घकालीन नहीं होता है । ये मस्तिष्क को उत्तेजित कर कुछ समय तक सक्रिय बनाने तक ही सहयोगी होते हैं। भारतीय ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पहले इसको विकसित करने की तकनीक खोजी, जो अत्याधिक प्रभावशाली है। उन्होंने अपने अन्तर्ज्ञान व अनुभव से ऐसी यौगिक क्रियाएं बताई जो मानव मस्तिष्क को स्थायी रूप से विकसित कर उसे शक्तिशाली बनाती हैं । इनके अभ्यास से कोई भी इस शक्ति को जगा सकता है एकाग्रता व स्मरणशक्ति बढ़ाने के साधनः मानव मस्तिष्क रूपी सुपर कम्प्युटर का हार्डवेयर तथा सोफ्टवेयर, दोनों ही ठीक हों तभी सही ढंग से कार्य कर पाएगा । मस्तिष्क का हार्डवेयर भौतिक शरीर से सम्बन्धित है तथा सोफ्टवेयर सूक्ष्म मन से । अभी मस्तिष्क का न तो हार्डवेयर पूर्ण स्वस्थ है और न सोफ्टवेयर सम्यक् रूप से विकसित । इनको स्वस्थ व. सक्रिय रखने के लिए प्राचीन शास्त्रों में यौगिक क्रियाएं, योग मुद्राएं, प्राणायाम तथा ध्यान के कुछ प्रयोग बताएं हैं, जो बहुत प्रभावशाली हैं । इनका नियमित समुचित अभ्यास हो तो हमारा मस्तिष्क भी सुपर कम्प्युटर से कई गुना ज्यादा क्रियाशील व शक्तिशाली बन सकता है। हमारे पास समय भी है, साधन और सुविधा भी है, मात्र आवश्यकता है दृढ़ संकल्प, प्रबल इच्छाशक्ति, समुचित मार्गदर्शन तथा नियमित अभ्यास की। जिससे हम भी इस प्रकृति प्रदत्त सर्वोत्तम वरदान का पूर्ण उपयोग कर सकते हैं। 43BOO HOMO

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