Book Title: Jain Bhaktikatya ki Prushtabhumi
Author(s): Premsagar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 170
________________ HPANJ AR जैन मक्तिकाव्यको पृष्ठभूमि बोर दसवें श्लोकमें क्रमशः, धरणेन्द्र और पद्मावतीकी स्तुति की गयी है। दसवें लोककी आलोचना करते हुए श्रीमती क्राउजेने लिखा है, "दसवां श्लोक देवी "पपावतोके मन्त्रको महत्ताको उद्घोषित करता है । पद्मावती भगवान् पार्श्वनाथकी शासनदेवी है, जिसकी अत्यधिक पूजा-अर्चना की गयी है। 'जनस्तोत्र-समुच्चय'के पृष्ठ ४७ पर घोघामण्डन-पार्श्वजिनका ९वा श्लोक और पृष्ठ ५७ पर पार्वजिन-स्तवनका पन्द्रहवां श्लोक पद्मावतीको भक्तिमें ही रचे गये हैं। देवी पद्मावतीको सिद्ध करनेवाले मंत्र . यद्यपि मंत्रसे अन्य जैन देवियोंका भी सम्बन्ध जोड़ा जाता है, किन्तु पद्मा वती ही उनकी अधिष्ठात्री देवी है । उसे सिद्ध करनेके लिए विविध मन्त्रोंकी रचना हुई है। “ॐ ह्रीं हैं ह क्लीं पद्म पद्मकटिनि नमः" ' को लाल कमल अथवा लाल कनेरके फूलोंपर तीन लाख बार जपनेसे देवी सिद्ध हो जाती है। देवीका षडक्षरी मन्त्र "ॐ ह्रीं हैं ह क्लीं श्रीं पद्मे नमः", यक्षरी मन्त्र-"ॐ ऐं क्लीं ह्यौं नमः" और एकाक्षर मन्त्र-"ॐ ह्रीं नमः" है। ह्रीं में 'ह' भगवान् पार्श्वनाथका, 'र' धरणेन्द्रका और 'ई' पद्मावतीका द्योतक है। होमकी विधि बताते हुए आचार्य ने लिखा है, "एक ताम्र-पत्रपर नामको ह्रीं से वेष्टित करके उसके चारों ओर कामदेवके पाँच बाण "द्रां द्रों क्लीं ब्लू सः" को लिखकर बाहर ह्रींसे वेष्टित करे। इस यंत्रको त्रिकोण होमकुण्डमें गाड़ दे। घो, दूध और शक्करमें मिलाकर बनायी हुई तीस सहस्र गोलियोंकी आहुतिसे पद्मावती देवी सिद्ध होती है। पहले मन्त्रके अन्तमें 'नमः' लगाकर देवीका जप करे, समाप्तिपर मन्त्रके अन्त में 'स्वाहा' लगाकर होम करे। यह सिद्धिकी विधि है। देवी पद्मावतीको सिद्ध करनेके अन्य चार शक्तिशाली मन्त्र भैरव-पद्मावती-कल्प १. देखिए 'Ancient Jaina Hymns; remarks on the texts, p. 49. २. भैरव-पद्मावती-कल्प : सूरत, ३२३०, पृ०२०। ३. वही : ३।३१, पृ. २०। ४. देखिए वही : ३१३२, ३३, ३४, पृष्ठ २०, २,। ... ५. देखिए वही : ३।३४, पृ. २१ । ६. देखिए वही : ३१३६, ३७, पृष्ठ २१, २२। ७. मन्त्रस्यान्ते नमशब्दं देवताऽऽराधनाविधी। , तदन्ते होमकाले तु स्वाहा शब्दं नियोजयेत् ॥ वही : ३१३८, पृ० २२ ॥

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