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इन्द्रियज्ञान... ज्ञान नहीं है
सागर के अमाप जल को क्या अंजुलि से मापा जाता है ? प्रभु! आप श्री की महिमा को क्या , शब्दों से गाया जाता है ?
जिनशासन के नभ-मण्डल में, तुम अनन्तकाल जयवंत रहो। जयवंत रहो जयवंत रहो श्री ‘कहान-लाल' जयवंत रहो ।।"
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