Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 6
________________ गया है। यद्यपि इस शती की भी सभी कृतियाँ अथवा उनके लेखकों के संबंध में सूचनाएं पूर्णतः उपलब्ध नहीं हैं। अभी तो अनेक जैन भण्डारों का सर्वेक्षण ही नहीं हो पाया है। अतः यह दावा करना मिथ्या होगा कि इस भाग में हमने सत्रहवीं शताब्दी के सभी जैन कवियों और लेखकों को समाहित कर लिया, फिर भी उपलब्ध स्रोतों से जो भी सामग्री मिल सकी है उसे विद्वान् लेखक ने सम्प्रदाय निरपेक्ष भाव से समाहित करने का प्रयत्न किया है। प्रस्तुत ग्रन्थ के मुद्रण का कार्य डिवाइन प्रिंटर्स के श्री महेशकुमार जी ने सम्पन्न किया है। प्रस्तुत ग्रन्थ की प्रूफ रीडिंग एवं कार्ड बनाने से लेकर प्रेस तक के सभी कार्यों का सम्पादन डा० असीम कुमार मिश्र, शोध-सहायक पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने अत्यन्त कुशलता से किया है, एतदर्थ हम उनके आभारी हैं। आज हमें हिन्दी विद्वत् जगत् को यह कृति समर्पित करते हुए अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। हम यह अपेक्षा रखते हैं कि वे अपने बहुमूल्य सुझावों से हमें अवगत करायें ताकि अगले खण्डों को और अधिक प्रामाणिक एवं पूर्ण बनाया जा सके। भूपेन्द्र नाथ जैन मानद् मन्त्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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