Book Title: Hetvabhas Savyabhichar
Author(s): Gangadhar Pandit
Publisher: Gangadhar Pandit
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विषयकोपस्थितित्वस्य किंचिदपि कार्य प्रति जनकतावच्छेदकत्वाभावे नातिप्रसंगविरहादिति वाच्यम् तथासति वन्यादी. साध्ये रासा तदभाव साहचर्यादि विशिष्ट प्रकारक ज्ञान मादाय धूमादा वतिप्रसंगा पातात् प्रकृत साध्य संदेह जनकताया अवश्यं निवेशनीयत्वात् नच कोटिय पदस्य प्रकत साध्यतावच्छेदकावच्छिन्न तदभाव परतया प्रकृत साध्यता वच्छेदकावच्छिन्नादि विषयकोपस्थितित्व घटित धर्मावच्छिन्न जनकतावच्छेदकावच्छिन्न जन्यता निवेशान्नेयमतिव्याप्ति | रिति वाच्यम् । एवं सति एतल्लाभायैव संशय पदोपादानात् । ननु साध्य संदेह जनक पक्षधर्मता ज्ञान विषयत्व निवेशेनैव सामंजस्ये कोटिहयो पस्थापकत्वां शनिवेशो ऽनतिप्रयोजनक इत्याशंका मपनेतुं तत्प्रयोजन माह धर्मिता वच्छेदकति तहारणाय वन्यादि व्याप्ये तहिरुद्दे वा पुरोवर्त्तित्वादौ वन्यादि व्यभिचारित्व वारणाय । कोटिहयेति । नच साध्यसंदेह जनकोपस्थिति जनकत्व मेव निवेश्यतां किमुपस्थितौ कोटिदय विषयकत्व निवेशने नेति वाच्यम् । तथासति व्याप्य विरुद्धयो रतिव्याप्ते स्तथाहि संशयं प्रति तत्तकोटि सहचरित धर्मवत्ता ज्ञान जन्य तदुपस्थितित्वेन तदभाव कोटि सहचरित धर्मवत्ता ज्ञानजन्य तदभावो पस्थितित्वेन पृथगेव तत्तत्साहचर्य विषयता मन्तर्भाव्य हेतता कल्प्यते एवं तत्त कोट्युपस्थितिं प्रत्यपि तथैव तत्त कोटि सहचरित धर्मवता ज्ञानत्वेन हेतुता इत्थंच वन्यभाव सहचरित धूमवानिति ज्ञानजन्य वन्यभावो पस्थिति सहकारेण वन्हि संशय जनक वन्युपस्थिति जनकीभूतं वन्हि सहचरित धूमवा निति ज्ञान मादाय धूमे वन्हि सहचरित जलत्ववानिति ज्ञान जन्य वन्युपस्थिति सहकारेण वन्हि संशय जनक वन्य भावोपस्थिति जनकीभूतं वन्यभाव सहचरित जलत्ववानिति ज्ञान मादाय च जलत्वे ऽतिव्याप्तिः कोटि योपस्थिति निवेशे च तथाविध ज्ञानयोः प्रत्येकं कोटिहयो पस्थापकत्वा भावान्नातिप्रसंगः नच वन्हिसहचरित धूमवान् वन्यभाव
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