Book Title: Haribhadrasuri krutanyashtakani
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ पृष्ठ १४ए अनुक्रमणिका. आंक. विषय. (एकांतानित्यपक्षखंडनाष्टकम्) (१५) एए क्षणिक मतनुं खंडन १४१ (नित्यानित्यपक्षमंडनाष्टकम्) (१६) ६० हिंसाना त्रण प्रकारोनुं स्वरूप १४७ ६१ नित्यानित्यात्माप्रते हिंसादिकनुं घटमानपणुं (मांसभक्षणदूषणाष्टकम् ) (१७) ६५ मांसजदाणनां दूषणो १५४ (अन्यदर्शनीयमतशास्त्रोक्तं मांसभक्षणाष्टकम् )(१८) ६३ मांस शद्वनो निरुक्तार्थ १५ए ६५ अन्य दर्शनीए मानेला प्रोदित मांस लक्षण- स्वरूप १६० ६५ अन्य दर्शनीए मानेली श्राइनी विधि मद्यपानदूषणाष्टकम् (१९) ६६ मद्यपाननां दूषणो. १६३ ६७ मद्यपानथीथएलां अन्यदर्शनीना शषिनां दूषणोर्नुस्वरूप१६५ मैथुनदूषणाष्टकम् (२०) ६० मैथुननां दूषणो. १६७ ६ए मैथुननी प्रशंसा करवी न्याययुक्त नथी, तेनुं स्वरूप. १९० सूक्ष्मवुद्ध्यष्टकम् (२१) १० सूदमबुधिनुं स्वरूप. ___ भावशुद्ध्यष्टकम् (२२) ७१ लावशुचिर्नु स्वरूप. शासनमालिन्याष्टकम् (२३) । प्रशासनने मालिन्यपणुं खगाडवाथी थतां दूषणो. १७० ७३ शासनने मालिन्यपणुं नहीं लगाडवाथी श्रतुं फल. १८५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 220