Book Title: Haribhadrasuri krutanyashtakani
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 8
________________ ६ अनुक्रमणिका. यांक. विषय. २० सावद्य पूजानुं विस्तारथी स्वरूप. २१ सावद्य पूजानुं फल. २२ निरवद्यपूजानुं विस्तारथी स्वरूप. २३ व जावपुष्पोनुं स्वरूप. २४ निरवद्यपूजानुं फल. ( अग्निकारिकाष्टकम् ) २५ ध्यानरूप अग्निकारिकानुं स्वरूप. २६ अन्यदर्शनी ए कहेलुं अग्निकारिकानुं स्वरूप. (४) ३५ बे प्रकारना प्रत्याख्याननुं स्वरूप. ६१ ६२ २७ व्यग्निकारिकानुं फल. ६४ २० पापोनी शुद्धिनो उपाय. ६५ २ दीक्षिते शामाटे अग्निकारिका नहीं करवी ? तेनुं स्वरूप. ६७ ३० अन्यदर्शन उ॑ना शास्त्राधारे व्य अग्निकारिकानुं दूषण. ६८ ( भिक्षाष्टकम् ) (५) Jain Educationa International पृष्ठ. ५३ ५७ այ ३१ ऋण प्रकारनी निक्षानुं स्वरूप. go go ३२ सर्वसंपत्करी नामनी निक्षानुं स्वरूप. ३३ पौरुषघ्नी निक्षानुं स्वरूप. ३४ वृत्तिनिदानुं स्वरूप. ७६ 90 ( सर्व संपत्करी भिक्षापूर्वक पिंडविशुद्धयष्टकम्) (६) ३५ सर्वसंपत्करी निक्षानं विस्तारथी स्वरूप. ३६ संकहित तथा संकटिपत पिंडनुं स्वरूप. (प्रछन्नभोजनाष्टकम् ) (७) ३७ साधुर्जने गुप्त जोजन करवानुं कारण. ३० साधुने प्रकट जोजनथी शीरीते पुण्यबंधन थाय बे ? . तथा तेथी शुं थाय बे ? तेनुं स्वरूप. ( प्रत्याख्यानाष्टकम् ) ( ८ ) ए ६० For Personal and Private Use Only ८‍ ८३ ԵԽ एए www.jainelibrary.org

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