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ज्ञान पुष्प समर्पित है......
कमलं उवनं कमलं सुवनं, कमलं अषयं कमलं सुरयं । कमलं विन्यान पयोहरयं, कमलं पय परम पदं ममलं ॥
कमलं पय अर्थ समुच्चियऊ, कमलं सम भाउ परिषियऊ । कमलं सुइ सयन स उत्तियऊ, अर्थह जिन अर्थ तिअर्थ पऊ ॥ की
अनवरत ज्ञानधारा प्रवाहित करने वाले
आचार्य प्रवर
श्रीमद् जिन तारण तरण स्वामी जी के प्रति,
जिनके,
स्वानुभूति से प्रस्फुटित अमृत वचन
दैदीप्यमान रत्नमणि के समान
ज्ञानानुभव प्रकाशित कर रहे हैं। साथ ही,
उनकी विशुद्ध आम्नाय को सहेजने वाले
विविध कलाओं में निष्णात
धर्म दिवाकर पूज्य श्री ब्र. गुलाबचंद जी महाराज,
समाज रत्न पूज्य श्री ब्र. जयसागर जी महाराज,
अध्यात्म शिरोमणी पूज्य श्री ब्र. ज्ञानानन्द जी महाराज
सहित
धर्म प्रभावक जागृत चेतनाओं के प्रति .