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सम्पूर्ण परिकल्पना के स्वप्नदृष्टा एवं शिल्पी तत्कालीन, गच्छाधिपति आचार्य भागवन्त श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. के असीम आशीर्वाद व युगद्रष्टा, राष्ट्र सन्त, महान जैनाचार्य श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के अथक-अनवरत परिश्रम, कुशल मार्गनिर्देशन एवं सफल सान्निध्य के फलस्वरूप श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र अपने आप में एक जीवन्त ऐतिहासिक स्मारक बन गया है। इस ज्ञानयज्ञ में आचार्य प्रवर के शिष्य व प्रशिष्य रत्नों के अहर्निश सद्प्रयास, कार्यकर्ताओं की लगन तथा उदार दान-दाताओं का अविस्मरणीय सहयोग भुलाया नहीं जा सकेगा। दर्शकों एवं विद्वानों ने हमारी व्यवस्था की भूरि-भूरि प्रशंसा की है तथा हमारी सुचारु एवं चिरकाल तक हस्तप्रतों को संरक्षित करने की व्यवस्था से प्रभावित होकर अनेक जैन संघों ने बंद पड़े ज्ञान भण्डार एवं लोगों ने स्वयं अपने व्यक्तिगत संग्रहो को हमें भेट दिया है। निकट भविष्य में
विस्तार की यहां अनगिनत सम्भावनाएं तथा योजनाएं है, विशेष रूप से एक विशाल साध्वीजी उपाश्रय, यात्रिक धर्मशाला तथा अद्यतन भोजनालय शीघ्र ही बन जायेगा। वास्तव में आचार्यश्री और श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र एक दूसरे के पर्याय बन गये है।
नम्र निवेदन : संस्था के वर्तमान स्वरूप को संरक्षित करने तथा विकास की विभिन्न परियोजनाओं के लिए आपसे तन-मन-धन से सहयोग अपेक्षित है।
श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र (रजि. नं. A2659, Ahmedabdad) को दिया गया अनुदान आयकर अधिनियम 80G के अन्तर्गत कर-मुक्ति का अधिकार रखता है।
सहयोग ही सफलता की कुंजी है
संम्पर्क सूत्र : श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा गांधीनगर - 382 001. (गुजरात) (भारत)
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