Book Title: Gnata Dharmkathangam
Author(s): Chandrasagarsuri
Publisher: Siddhchakra Sahitya Pracharak Samiti

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Page 418
________________ S नवाङ्गी CAR ८-श्रीमल्ली जाव मिच्छादसणसल्लेणं नत्थि काई सोही, जहा व तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव धोव्वमाणस्स, १. वृ. तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया मल्लीए विदेह०, एवं वुत्ता समाणा संकिया, कंखिया, विइगिच्छिया, श्रीज्ञाता-18 भेयसमावण्णा जाया यावि होत्था; मल्लीए णो संचाएति, किंचिवि पामोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीया धर्मकथाङ्गे संचिट्ठति। तते ण तं चोक्खं मल्लीए बहुओ दासचेडीओ हीलेंति, निंदंति, खिसंति, गरहंति, अप्पेगतिया हेरुयालंति, अप्पे मुहमक्कडिया करेंति, अप्पे० वग्घाडीओ करेंति, अप्पे० तज्नमाणीओ निच्छुभंति ॥१५१॥ तए णं सो चोक्खा मल्लीए विदेह० दासचेडियाहिं जाव गरहिजमाणी, हीलिजमाणी, आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणी, मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए पओसमावज्रति, भिसियं गेण्हति२, कण्णंतेउराओ पडिनिक्वमति२, मिहिलाओ निग्गच्छति २, परिवाइयासंपरिवुडा, जेणेव पंचालजणवए, जेणेव कंपिल्लपुरे, बहूणं राइसर जाव परूवेमाणी विहरति; तए णं से जियसत्तू अन्नदा कदाई अंतेउर. परियाल सद्धिं संपरिबुडे एवं जाव विहरति, तते णं सा चोक्खा परिव्वाइयासंपरिबुडा जेणेव जितसतुस्स रणो भवणे, जेणेव जितसत्तू, तेणेव उवागच्छह २ त्ता, अणुपविसति२, जियसत्तुं जएणं विजएणं | वद्धावेति; तते णं से जितसत्तू चोक्खं परि०, एन्जमाणं पासति २, सीहासणाओ अन्भुटेतिर, चोक्खं | सक्कारेति२, आसणेणं उवणिमंतेति; तते णं सा चोक्खा उदगपरिफासियाए जाव भिसियाए निविसइ, जियसत्तुं रायं रज्जे य जाव अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छ; तते णं सा चोक्खा जियसत्तुस्स रन्नो ज्ञाताध्य पंचालदेशादिवर्णनसूत्रम् । CAROSAROKAROSAROKNOCROS RIENCES । १५१॥

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