Book Title: Gaye Ja Geet Apan Ke Author(s): Moolchand Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 4
________________ इतने में एक ग्राहक आया और धनीराम से बोला ... धनीराम ने टुकड़े को तौला और वजन ठीक पचास ग्राम हो गया फिर... सेठजी मुझे लड़की के विवाह के लिए रुपयों की बहुत सख्त जरूरत पड़ गई हैं। आप यह पचासग्राम सोने का टुकड़ा ले लो और इसका मुल्य मुझे दे दो । बैठो, मैं तौलकर देखता हूँ और तुम्हें इसके रूपये दे देता हूँ । भैया वजन तो पचास ग्राम है परन्तु मैं मुल्य पैतालीस ग्राम का ही दे सकता हूँ । भैया इसमें पांच ग्राम का खोट है यानि इसमें पांचग्राम कुछ और चीज मिली है जो सोना नहीं है। 2 ऐसा क्यों सेठजी ? ठीक है सेठ जी पैतालीस ग्राम के ही दाम दे दीजिये।Page Navigation
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