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कैलाश ने सब कुछ देखा-भौचक्का सा रह गया बेचारा। परन्तु बोलाकुछ नहीं। वहीं रहते-रहते तीन महीने और बीत गये। फिर एक दिन....
सेठजी, सेठजी
मुनीमजीक्या बात है? इतने खुश क्यों?
आज तो पौबारे हो गये सेठजी, हमारा भाग्य जाग उठा। अभी बम्बई से तार आया है। जो हमने रुईका सौदा किया था उसमें पन्द्रह लाख रूपये का लाभ हुआ है अहा! हा! हा मजा आ गया।
मुनीमजी, कुछ अनहोनी तानहीं हुई। जाओ अपना कामकरो।
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