Book Title: Gaye Ja Geet Apan Ke
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 27
________________ सेठ जी मुझे महाराज श्री ने आपके पास भेजा है। मैं बड़ा परेशान हूँ। कृपया मुझे कुछ उपदेश दीजिये ताकि मेरे जीवन में कुछ शांति आ सके। भैया, ठीक है। रहोयहां कुछ दिन दो महीने बाद-एक दिन मुनीमजी भागे-भागे आये, और... सेठ जी सेठजी गजब हो गया सेठजी,बम्बई से तार आया है। जिस जहाज से हमारा माल जा रहा था वह जहाज डूब गया है।सारा माल नष्ट हो गया है। दस लाख रूपये का नुकसान-अब क्या होगा? क्या बात है? क्यों घबड़ाये हो? मुनीमजी, कुछ अनहोनी तो नहीं हुई। जाओ अपना कामकरो। 25

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