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भूलताहै भाई! मेरे दर्शन से तो कुछ भी नहीं मिलेगा तुझे
नहीं नहीं भगवन् ! ऐसा न कहिये। सुनता चला आया हूँ आपके दर्शनों से अनेक पापी तिरे है, पतितों का उद्धार हुआ है, मेरा भी कल्याण हो जाएगा, दर्शन दीजिये प्रभु।
नहीं भैया। मेरे नहीं अपने दर्शन कर,अपने को पहिचान, अपने को निरख, तेरा कल्याण होगा|
नहीं नहीं ऐसान कह, जो मैं हूँ वही
तो तू है
क्या कहा? जो तुम वही मैं! यह कैसे भगवन?
मैं तो मुहापापी है भगवन्
मैं तो
नीच हूँ।