Book Title: Gaye Ja Geet Apan Ke
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 3
________________ एक सेठ प्रकाश चंद पहुँचे अपने एक मित्र धनीराम जौहरी के पास । और.. रेखाकनः बनेसिंह भैया मैं बहुत दुखी हूँ। छः महीने पहले मेरी फैक्टरी आग के कारण जलकर राख हो गई थी, तीन महीने पहले मेराजवान बेटा चल बसा। क्या कर्क, कुछ समझ में नहीं आता? IVECEN 'ooo u e ute 4U भैया कुछजल-पान करो, सब ठीक हो जायेगा। टाकल

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