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जैसा संग, वैसा रंग
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शिष्य-गुरुदेव ! प्रस्तुत ढेले पर गुलाब के फूल टूट-टूटकर गिरते रहे हैं। निरन्तर गुलाब के स्पर्श के कारण यह मिट्टी भी सुगन्धित हो गई है ?
शेखसादी ने अपने मन्तव्य को स्पष्ट करते हुए कहा-जैसे मिट्टी निर्गन्ध होने पर भी फूलों की संगति से वह भी सौरभयुक्त हो गई, वैसे ही मानव का भी जीवन है । वह भी जैसी संगत करता है, वैसा ही उसका जीवन हो जाता है।
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