Book Title: Gagar me Sagar
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 170
________________ १५५ और उसे दो रोटियाँ और सब्जी दे देता । यही उसका प्रतिदिन का क्रम था । करुणा एक दिन प्रातः जब वह अपने स्कूल पहुँचा तो उसने देखा कि वह बुढ़िया वहाँ नहीं है । उसने आसपास तलाश की तो पता चला कि बुढ़िया रात को ही परलोक पहुँच गई है । वह उदास मन शाम को घर लौटा। दो-तीन दिन के बाद बालक की माँ ने उसकी पुस्तक को अलमारी में चींटियाँ जाती हुईं देखीं । उसने पुस्तकें हटाकर सफाई की। उसने देखा पुस्तकों के साथ चार रोटियाँ भी पड़ी हुई हैं। माँ को रोटियाँ देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ । जब बालक स्कूल से लौटा तो माँ ने उससे पूछा कि अलमारी में रोटी कैसे रखी थीं ? प्रश्न सुनते ही बालक फफक-फफक कर रो पड़ा । उसने कहा - इस तरह बुढ़िया का निधन हो गया है । मेरे पुत्र 1 माँ को यह जानकर हार्दिक आह्लाद हुआ कि के मन में करुणा का सागर लहरा रहा उसने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा - पुत्र ! तेरा यह सद्गुण विकसित हो । उस बालक का नाम था सुभाषचन्द्र बोस । वही आगे चलकर नेताजी के नाम से विख्यात हुआ । C Jain Education Internationalte & Personal Usev@rjainelibrary.org

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