Book Title: Gagar me Sagar
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 174
________________ सच्चा स्नेह स्वामी दर्शनानन्द जी और श्रद्धानन्द जी दोनों ही आर्य समाज के जाने-माने हुए प्रबुद्ध विचारक, चिन्तक और प्रकाण्ड पण्डित थे। दोनों में अत्यन्त स्नेह सम्बन्ध था। वे समय समय पर मिलते और गहरी दार्शनिक, धार्मिक तथा शास्त्रीय चर्चाएं करते। एक दिन दोनों चर्चा कर रहे थे। किसी प्रसंग को लेकर वाद-विवाद ने बहुत ही उग्र रूप धारण कर लिया। दर्शनानन्द जी उत्तेजित हो गए और उन्होंने श्रद्धानन्द जी को ऐसी कड़वी बातें सुनाई जिससे वातावरण तनावपूर्ण हो गया और उसी तनावपूर्ण वातावरण में गोष्ठी सम्पन्न हो गई। दोनों विद्वान् अपने-अपने स्थान पर चले गए। अपने स्थान पर लौटने के पश्चात् जब दर्शनानन्द जी का क्रोध शान्त हुआ तो उन्हें अनुभव हुआ : १५६ : Jain Education InteFoatponate & Personal Usev@ņainelibrary.org

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