Book Title: Gagar me Sagar
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 176
________________ :८० : अहंकार और प्रदर्शन - हाजी मुहम्मद एक ख्यातिप्राप्त मुसलमान सन्त थे । उन्होंने अपने जीवन में साठ बार हज किया था और प्रतिदिन पाँच बार नमाज़ पढ़ते थे। ___ एक दिन उन्हें स्वप्न आया कि एक फरिश्ता स्वर्ग और नरक के बीच में खड़ा है और लोगों को उनके कर्म के अनुसार स्वर्ग और नरक की ओर भेज रहा है। उसने हाजी से प्रश्न किया, क्या तुमने अपने जीवन में शुभ कर्म किये हैं ? __ हाजी ने अपनी छाती फुलाते हुए कहा-क्यों नहीं, मैंने साठ बार हज किया है ? फरिश्ते ने कहा-तुम्हारा कथन सत्य है, पर जब भी तुम्हें कोई भी पूछता तब तुम अभिमान के साथ इस बात को दुहराते थे कि मुझे नहीं जानते, मैं १६१: Jain Education Interpatronate & Personal Usev@jainelibrary.org

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