Book Title: Gagar me Sagar
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 155
________________ : ७२ हृदय-परिवर्तन मुहम्मद ने अपना चिन्तन जन-मानस के सामने प्रस्तुत किया। विरोधी तत्त्वों ने चारों ओर यह प्रचार प्रारम्भ किया कि मुहम्मद एक जादूगर है। उसके सम्पर्क में कोई न आये। जो अशिक्षित थे उन्हें लगा कि वस्तुतः मुहम्मद की बात भूल से भी कानों में न गिर जाय इसका हमें सतत ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने अपने कानों में रुई ठोस ली जिससे कि उनके शब्द न गिरे। एक धनवान वृद्धा काबा में पहुंची और वह प्रार्थना करने लगी-कि मुहम्मद को नष्ट कर दो। ___उस समय काबा में 'लात', 'हुज्जा ' और 'हुब्बल' ये तीन प्रमुख उपास्य थे। बुढ़िया उन्हीं के सामने अपने हृदय की वेदना प्रस्तुत कर रही थी। उसने : १४० : Jain Education Interpatronate & Personal Uwev@rainelibrary.org

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