Book Title: Gagar me Sagar
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 146
________________ ६७: असुर और ससुर - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ लेखक, निबन्धकार, समालोचक ही नहीं किन्त कवि भी थे। वे जब कभी कवि सम्मेलनों में भाग लेते तो वे कविता पाठ अवश्य करते। पर उनकी कविताएँ सस्वर नहीं होती। एक बार उन्हें किसी कविगोष्ठी में उपस्थित होना पड़ा। उनके एक स्नेही मित्र जो बहुत ही अच्छे कवि थे, उनका गला भी बहुत मधुर था, वे सस्वर कविता पाठ किया करते थे। जब शुक्लजी कविता सूनाने के लिए खडे हए तब उनके मित्र ने मधुर व्यंग्य कसते हुए कहा-अब अ-सुर जी (स्वररहित, राक्षस) कविता पाठ करेंगे। आप उनके कवितापाठ को ध्यान से सुनिए। Jain Education Intefloatianaie Blisonal Usev@rainelibrary.org

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