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गागर में सागर
कि इतनी स्वल्प अर्थराशि से मेरी विदेश यात्रा किस प्रकार सुगम रीति से सम्पन्न हो सकेगी, पर नेहरूजी के उस लिफाफे ने उसके मानसिक संक्लेश को नष्ट कर दिया ।
यह थी नेहरूजी की साहित्यकारों के प्रति सन्मान की भावना |
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