Book Title: Epigraphia Indica Vol 29
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 316
________________ No. 24) HINGNI BERDI PLATES OF RASHTRAKUTA VIBHURAJA ; YEAR 3 177 3 विभुराजानुज्ञया' स्वकुशल नभस्तलालंकारिणी (?)(ण्या) 4 श्यावलङ्गीमहादेव्य (व्या) मातापित्रोः पुण्याभिवृद्धये प्रा5 त्मनश्च बलिचस्वैश्वदेवाग्निहोत्रकृ (क्रि)योत्स[प]णा6 र्थम (मा) चन्द्राणिवक्षितिस्थ्यि (स्थि)तिसमकालि (ली)नः पुत्रपौ7 त्रस्वामिभक्तार्थिह हृदय[ना]दाभिमुखसमराभिये8 दं श्रीमाणराजस्य मात्रा सतीत्वाच्चोभयव9 नशोतभु (वंशोद्भ)तप्रभावत्या[य]या श्रीमतो राष्ट्राकूट*]देवरा Second Plate ; First Side 10 जस्य पन्या (ल्या) [राज्यान्वयभोग्यस्सर्वादित्यविषि (ष्टि)परिवil जितो चाटभटअप्रावेश्ये (श्यो) भु(भू) म (मि)च्छ (च्छि) द्रन्यायेन 12 अगस्त (स्त्य) सगोत्रब्राह्मणाय नन्नस्वाम (मि)ने स्वहस्त13 धृत[भृङ्गारकोद[ने]के।[न*] कमली[भू]हकाग्रा (अ) हारस्य दक्षि14 [णा] सुवर्णशि (श) ल (ला) कायाः पञ्चाशत्ताम्रशासनन (नि) ब15 द्वा [*] वर्तमाने तृत (ती)ये स(सं)वत्सरे वैशाख[शुक्लपौ[f]16 मास्य (स्यां) राष्ट्रि]कूटेन महाराजविभुराजस्य [*] यश्च तत्*] [लो17 पय (यि)प्य (ष्य)ति स प[ञ्च]महापातकसंयुक्तो भविप (ष्य)ति[*] ष18 [ष्टि वर्षसहस्राणि स्वग्गि (गर्गे) म(मो)दति भूमिद (दः) आच्छेत्ता वा19 नुमन्तिा ] च Second Plate ; Second Side 20 तान्ये]व नरके वसेत् [*] बहु[भिव[सु]धा [भुक्ता रा]A जि(ज) भिस्सा (स्स) गरादिवि (भिः) [i*] यस्य वि(य)स्य यदी (दा) [भू]म (मि) व(स्त) स्यि (स्य) 22 तस्य] [त]दा फलवि (मि)[ति] [*] The words alankarena and Grimata are obviously intended to quality Vibhuraja wrongly compoundod hore. -B.C.C.] • The letter has redundent; read avakuia. * This akahara is not necessary. D2

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