Book Title: Epigraphia Indica Vol 29
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 395
________________ EPIGRAPHIA INDICA [VoL.XXIX 115 हेद्राचलथीशैली व्वलकृतांध्रविषयं श्रीराजराजस्व118 यं [*] यस्मै विक्रमविस्मितस्समदिशत्सामंतचिह्नस्सह श्रीम117 च्चामरयुग्मसुंदर वियच्चंद्रोद]याद्यैर्मुदा [॥५८॥*] 'अत्युत्तमोत्तुंग्गतु118 रंग्गयूध(थ)खुराग्रसम्मूर्च्छितरेणुजालं [*] आमत्तमातंग्गमदां119 बुद"सेकैः] प्रशाम्यते यस्य जयप्रयाणे [॥५६॥*] काठिन्यं कुचकुंभयो120 स्तरलाता हारे भ्रुवोर्वत्रता मंदत्वं गमने ' वरांघ्रितलयोनिर्भ121 र्त्सनं क्षामतां [1] वाण्यां तैक्ष्णमपां[ग]योश्च समभूत्संग्राम - - 122 क्षितिः श्रीचोडक्षितिपालकीर्तिरशना यस्मिंश्चिरं शासति [॥६०॥*] 'लक्ष्मीर्व Sixth Plate ; Second Side 123 क्षसि दक्षिणे भुजतटे वी[राश्रियं यः परां [*] वामे चैव [भुजोत्त124 मे [जय]रमा वाग्देवतामानाने ।] शत्रुध्वंसनकारिणी ~ ~ 125 शिरस्यत्यंत - - - - बिभ्रन्माधवपंकजासन126 पुर प्रख्यश्चिरं राजते [॥६१*] प्रादाद्यश्च महाग्रहारनिकरं संवर्धि[भि]127 स्संयुतं विप्रेभ्यः कविपुंडरीकनिकरप्रद्योतनश्शत्रुहा [*] भाद्रां] 128 राजशिखामणिः क्षितिमिमां शश्वत्समृद्धां जनाधाता नृप129 तिर्यधा (था) च मकरश्रीधर्मपुत्रो यधा (था) [॥६२*] दानं यस्य समाग130 [तार्थि]जान]तादारिद्र्यविद्रावनं(णं) शौ[यं] यस्य विरोधराजवनि131 तावैधव्यदीक्षागुरु[ः।] कीर्तिर्दिव्यनदीव यस्य विमला व्याप्तत्रिलोकीं I Read श्रीशलवलया. - Read राजराजस्स्व. • Read 'सुंदर. • Metre : Upajati. • Read मदांबुसेकः. . • Metre : Sárdalurikiilrita. Pretre : tandalurikridita. Read 'लक्ष्मी Reud सगरः. DIGIPC-81-20 DGA/33-13.0.15-430.

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