Book Title: Epigraphia Indica Vol 24
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

View full book text
Previous | Next

Page 341
________________ 216 EPIGRAPHIA INDICA. [VOL. XXIV. Third Plate; First Side. 28 नाथा नलनहुषहरिश्चन्द्रामादयोपि ।' प्रत्यक्षास्त यशोभिर्गुणवपुरचला स्वैरिदानौ29 मदृष्टाः । यस्योच्चैः कौत्ति'रा[शिर्भ]गण इव जगत्यहितीयोदयोस्मिन् । राजद्राजा धिराजस्म ज30 यति विजयादित्यदेवोम्मराज: n[*] गद्यम् ॥ स जगतोपतिरम्मराजो राजमहेन्द्रभो. गोन्द्रसह31 सभोगोपहासिदोग्यदक्षिणेकबहसान्द्रितविश्वविखंभराभारः । नारायण 32 इव निरन्तरानन्तभोगास्पदः । विधुरिष सुखविराजितः । पितामह इव कम33 लासनः । गिविरिश'इव धराधरसताराधितः । रबाकर व समस्त34 शरणागतभूभृदाश्रयः । सुवर्णाचल इव सुवर्णोत्तुंगोदयः । हिमाचल 35 इव सिंहासनोलासितचमरीवालव्यजनविराजमानलीलः ॥ स सम36 स्तभुवनाश्यश्वोविजयादित्यमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरम Third Plate ; Second Side. 37 भधारकः । वेलनाविषयनिवासिनो राष्ट्रकूटप्रमुखान्कु टिबिनसमस्त38 सामन्तान्ति]xपुरमझमात्रपुरोहितामात्वत्रेष्ठिसेनापति त्रिकरणधर्माध्यक्ष 39 हादशस्थान(ना)धिपतीन्समाइयत्तमाञापयति विदितमस्तु वः । श्रीमानुदपा40 दि मा(म)हाविण्यनकुलसाधुर . . . व्याख्यो [1"] गोत्रो(च:) सिंहासनतो । 41 विदितो [न]रवाहनचालुक्ये[शानाम् ॥] [e'] श्रीकरणगुरुरुरिव ।' विबुधगुरु42 स्म[क लग[जसिद्धान्ततः] । नरवाहन रत्यासीश्यकतनरवाह[नः] प्रकाशित 43 यशसा ।।१.] यस्याग्रसुतो गुणवान् । मेलपराजी गुणप्रभिावो दानौ। मानौ मा 1 Mark of punctuation in unnecessary here. • Read: कौर्ति • Read वा. • Read गिरिश • Read कुटुंबिन. • Read श्रीकरण. - Read समाइयत्व • Tho metre of this and the following 8 verses is dryagili. • The letter meems to read like for there is a loop-like stroke at the bottom. plato, then the name of the chieftain has to be read #99 10[Reading may be pradhand.-Ed.J If this is borne out by the

Loading...

Page Navigation
1 ... 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472