Book Title: Epigraphia Indica Vol 24
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 390
________________ No. 44.) FIRST AND THIRI) SLABS OF KUMBHALGARH INSCRIPTION: V. S. 1517. 315 3 रंगभूमौ ॥[२] बैलोक्यातुलरचनकसूत्रधार [कल्यणं प्रथयतु व[ पिनाकपा*] णिः । यद्भक्तिप्रवणधियो यदीयनामा सर्वार्थान्मनुजगणाः क्षणालभते. कपोलपोदंचादमधुरतालुब्धमधुपस्फुरहुं4 जागीतिः श्रवण[पुट]तालो गजमुखः। चलत्छु(च्छ)डा[दंडा*] 'कलितकल[कंठः प्रथयता*] - मुदं बिनसूत्रं त्रिभुवनमहामंडपविधौ ॥[४] कुटिलासरित्समीप त्रिकूटगिरि गहनभूषिणी नित्यं (त्यम्) [*] वांछितफलप्रदा5 ची देवी श्रीविंध्यवासिनी] जयति ॥५° उद्यदिनद्युति[भासि कि] रोटा तुंग - - - - . [युक्ता(ताम्) । स्मेरमुखीं वरदांकुशपाशाभौतिकरां प्रभजे भुवनेशी(शीम) ॥६' जयति जगत्र(च)यनाथो जगतीपतिपूजितस्मदा शंभुः[*] 6 वांछितफलप्रदीय श्रीमानि] त्वेकलिंगाख्यः ॥७ इंद्र[: सर्वसुरेश्वरः [क] [तयुगे भक्त्या यमाराध']"यचेचायाँ [स]कलाभिलाषफलिनी धनुस्तथा हापरे । नागेशः किल तक्षक कलियुगे हारीतनामा मुनिस्मीयं सर्वजगहरुर्विजयते श्री एकलिं [गप्रभः ॥॥ जयत्येक[श*] [राघातविदारि[तपुरत्रयः । धनु ईराणां धौ"]]य: पिनाकी भुवनत्रये ॥ त्रैलोक्यं त्रिपुरांतकोवतु सदा यौ"लिमूले जटाजूटाचि परिपिंजरे परिगता भात्युच्चकै8 डिवी । कर्पूरामलपट्टिकेव निहिता [जांबूनदे भाज[ने] []मादेदित[व] ------- - - - ॥१०॥ क्वचिदलिपटलाभः काल कूटामु(नु)वधाक्वचिदमलतराभिभूतिभिः खेतकायः । विमल व जलोधो यामु9 नः स्वाधुनश्च प्रशुदतु दुरितं वो नीलकंठस्य [कंठः ॥११० ज]य देवि जगात: .. .. .. .. - .. .. । विदधानाननं दिया प्रणतामरसमुनते ॥१२॥ विष्णोरका वनमा स्वात् किम ननु गदितं वर्मसंधेम्निबीनं किं वा चाव्ययं 1 Metre: Vasantatilaka. * This verse is no. 1 in E. • Metre: Praharshipi. • Text within these brackets is restored from E where the v. is no. 2. Here also the text is much mutilated. • Metre : Sikharipi. .Metre: Gili. Metre: Dadhaba. .Metre: Aryd. . Text within these brackets is restored from v. 39, Ch. X of F. 10 Sandhi is not observed here. 11 Metre: Sardalavikridita. 11 Text within these brackets is restored from v. 44, Ch. X of F. 14 The visarga seems to have been added later on and hence is very faint. 14 Metre: Anushfubh. 15 The vertical stroke of the au sign in mau is very faint and poems to be a later addition. 16 Metre: Malini.

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