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कीर्तिकलाख्यो हिन्दीमाषाऽनुवादः
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आपको अवश्य ही स्वामी मानेंगे । जो विचार नहीं करते, वही आपको स्वामी नहीं मानते । इससे आपका कुछ बनता बिगडता नहीं, किन्तु वे ही लोग सत्य से वञ्चित रहते हैं । इसलिये इस प्रकार का विचार उनके ही हित में है।) ॥ ३ ॥
घट आदि पदार्थ स्वयं ही, अनुवृत्ति = घट घट इत्यादि प्रकार के समान ज्ञान तथा व्यत्तिवृत्ति = घट पट से भिन्न है इस प्रकार का भेदप्रकाशक विशेष ज्ञान,--इन दोनों ही ज्ञानों का विषय होते हैं। अर्थात् घटादि पदार्थ सामान्य तथा विशेष दोनों स्वभाव के होते हैं । यदि एकान्तरूपसे सामान्य और विशेष भिन्न होते तो सामान्यविशेष पदार्थ से अनभिज्ञ साधारण जन को भी घट को देखते ही किसी की अपेक्षा किये विना, 'यह घट है पट नहीं' इस प्रकार का ज्ञान नहीं होता । (नैयायिकों का कहना है कि-घट आदि पदार्थों मे एकप्रकार की समानता है ; जैसे एक घट दूसरे घट से समान होता है। इस समानता या सामान्य को घटत्व आदि शब्दों से कहा जाता है । वह घटत्व घट से भिन्न है। क्यों कि घटत्व सब घटों में रहने पाला धर्म है, तथा घट व्यक्ति है। उस घटत्व के कारण ही घट को देखने से 'यह घट है पट नहीं' एसा ज्ञान होता है। लेकिन इस प्रकार से स्थूल पदार्थों में ही विशेष प्रकार से ज्ञान सम्भव है, किन्तु अमूर्त आकाश काल आदि में तथा परमाणुओं में
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