________________
कीर्तिकलाख्यो हिन्दीमाषाऽनुवादः
वह दूसरे को छल करना कैसे सिखा सकता है ?) इसलिये छल का उपदेश करने बाला विरक्त है, यह आश्चर्य है। (गौतम मुनि ने छल आदि का प्रतिपादन किया है, इसके लिये यह कटाक्ष किया गया है।) ॥ १० ॥
हे जिनेश्वर ! जो लोग यज्ञ में की गयी हिंसा को वेदादिशास्त्रविहित होने के कारण धर्म का हेतु मानते हैं, वह युक्त नहीं । (क्योंकि वेद में सामान्य रूप से हिंसामात्र का निषेध करनेवाला वाक्य विद्यमान है। यदि ऐसा कहा जाय कि सामान्य का विशेषविधि अपवाद होता है । इसलिये सामान्य रूप से हिंसा को पापहेतु बताने बाले वेद के हिंसानिषेध वाक्य का यज्ञ में हिंसा का विधानकरनेवाला वेदवाक्य अपवाद है, इस लिये यज्ञ में की गयी हिंसा धर्म का हेतु है, तो यह बात युक्तिसंगत नहीं । क्यों कि) अन्य विषय के सामान्य वाक्य का अन्य विषय का विशेष वाक्य अपवाद नहीं हो सकता। (एक विषय में ही सामान्य और विशेष वाक्य हों, तो सामान्य का विशेष अपवाद होता है। यहां तो हिंसा पाप का हेतु है, इस विषय में हिंसा का निषेधक सामान्य वाक्य है । तथा यज्ञ में हिंसा को धर्महेतु बताने के लिये विशेष वाक्य है। इसलिये उन दोनों वाक्यों में समान्यविशेषभाव नहीं माना जा सकता ।) इसलिये अन्यतीर्थिकों (जैमिनि के अनुयायियों) का यह (यज्ञ में हिंसा धर्म का हेतु है) विचार
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org