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वस्त्र अनेक तंतुओं का बना होता है। प्रत्येक तंतु में अनेक रोएं होते हैं। उसमें भी ऊपर का रोयां पहले छिदता है, तब कहीं उसके नीचे का रोयां छिदता है। अनंत परमाणुओं के मिलन का नाम संघात है। अनंत संघातों का एक समुदाय और अनंत समुदायों की एक समिति होती है और ऐसी अनंत समितियों के संगठन से तंतु के ऊपर का एक रोयां बनता है। इन सबका छेदन क्रमशः होता है। तंतु के पहले रोयें के छेदन में जितना समय लगता है, उसका अत्यंत सूक्ष्म अंश यानी असंख्यातवां भाग समय कहलाता है।
काल का उपकारः-पदार्थों में चाहे वे सजीव हो या निर्जीव हो परिवर्तन काल के कारण ही संभव है। वह काल सूक्ष्म भी हो सकता है, स्थूल भी। परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि यह किसी पदार्थ में मजबूरन परिवर्तन लाता है। क्रिया मात्र काल के कारण ही संभव है।'
परिवर्तन दो प्रकार का होता है- क्षेत्रात्मक और भावात्मक। क्षेत्रात्मक परिवर्तन कभी-कभी और कहीं-कहीं संभव होता है, परन्तु भावात्मक परिवर्तन सर्वत्र और सदैव रहता है। क्षेत्रात्मक परिवर्तन किसी-किसी पदार्थ में होता है। परंतु भावात्मक परिवर्तन सदा पदार्थों में होता है। चाहे वह मूर्तिक हो या अमूर्तिका
भावात्मक परिवर्तन दो प्रकार का होता है-सूक्ष्म तथा स्थूल। सूक्ष्म परिवर्तन वह है जो प्रतिपल पदार्थों में होता है, स्थूल परिवर्तन प्रतीति में आ जाता है। हम इन्द्रियज्ञान से स्थूल परिवर्तन देख सकते हैं। परंतु इससे यह नहीं समझें कि सूक्ष्म परिवर्तन होता ही नहीं। सूक्ष्म के अभाव में स्थूल परिवर्तन संभव नहीं है। स्थूल परिवर्तन जीव और पुद्गल में ही होता है, परंतु सूक्ष्म परिवर्तन तो छहों द्रव्यों में पाया जाता है। क्योंकि उत्पाद, व्यय, धौव्य युक्त ही द्रव्य हो सकता है। सूक्ष्म तथा स्थूल दोनों प्रकार के परिवर्तन में काल ही उपकारी या सहायक है।'
क्रिया में सहायक काल हैः-जितनी भी क्रियाएँ होती हैं, वे सारी काल के कारण ही संभव है। अगर काल न हो तो हमारी गतिक्रिया या रेल 1. भगवती अ. वृत्ति पृ. 535 2. धवला 4.1.5.1.7.317
3. पदार्थ विज्ञान- ले. जिनेन्द्रवर्णी प. 196.97 4. जैनेन्द्र सिद्धांतकोष पृ.83
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