Book Title: Dhurtakhyan Author(s): Publisher: View full book textPage 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org .org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथश्री धूर्ताख्यान प्रारम्यते. ...---- -- श्री मालवा देसमां उज्जेगीनामनी नगरीनी उत्तर शाए एक उद्यान छे तेमां केटलाएक धूर्त माहा ग्यावी, न करवा योग्य कामने करवावाला, सदा नाम उपना करनारा, महानिर्दय, स्त्री बाल वृद्ध या विस्मातीनी घातपरवावाला, बोलवामां अति तर, धूप, अंजन तमा चूर्णनां योग अवस्वापिनी भनी प्रमुख विद्याना बलधी स्वरभेद, विषभेद, / वर्णभेदे करीने जगतने छेतरवा वाला एवा गोशो धुर्त एकठा मलीने फरता फरताआवीने .. तेओना सरदारो मुलदेव कंडरीक षाढ शंश तथा खंडवणा नाममा पांच यहताते एकेकनो परिवार पांचशे पांचशे धूर्तनो .. तेओमां पांचमो सरदार स्त्री हती लेने ते स्त्री धूर्तनो परिवार हतो. एवी रीते मलीने अडीहजार धूर्त त्यां एकठाया मांनो मुलदेव पहेलो सरदार सर्वलोकने For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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