Book Title: Dharmshastra ka Itihas Shabdanukramanika
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 16
________________ अनुक्रमणिका . ११ विक्रय १५० विजन आव इण्डिया १०६ विजन्मा १३७ विद्यारम्भ १०७, २०६ विद्वन्मोदिनी व्याख्या २१ विधवा ३३०, ३४३ विनयकुमार सरकार २६ विनिमय १५० विराट ४३ विलियम जोन्स ६६,६७ विवादचिन्तामणि ७५ विवादरत्नाकर ८१ विवाह ११८, २६६, ३०१, ३०७-८-३१-४६ विशालाक्ष ३२ विश्वरूप ७,२०, २५, ५०,५५, १०० विश्वामित्र ६३ विश्वेश्वर भट्ट ८६ विष्णु १६ विष्णुगुप्त २६ विष्णुधर्मसूत्र २३, १६६, १७०, १७१, ३४०,४१४ विष्णुपुराण १०८,४१४ विष्णुबलि १७८, १६० विहित भोजन ४१६ विज्ञानेश्वर ८१ वी० एन०माण्डलिक ४७ वीरमित्रोदय ७५, ७७, ६४ वृजिक ३३ वृद्ध कात्यायन ५६ वृद्ध गौतम १३, २७ वृद्ध पराशर २५ बुद्ध प्रचेता ६२ वृद्ध मनु ४७ वृद्ध याज्ञवल्क्य ५३ बुद्ध वसिष्ठ २३ बद्ध व्यास ६४ वृक्षारोपण ४७३ वेण १३७ वेणुक १३७ वेद ४, ५ वेदांग १२ वेदांत-सूत्रभाष्य १३ वेदाध्ययन १४१, २३१. २५० वेदाध्यापन १४३ वेलव १७३ वेश्या ३५३ वैखानस ३४ वैखानस गृह्यसूत्र ३५६ वैखानस धर्मप्रश्न ३४ वैजयन्ती टीका २३ वैण १३७ वैदेहक १३७ वैशिक कलाज्ञान ३३ वैशेषिक सूत्र कार ४ वैश्य १११ वैश्वदेव १८,४०४, ५३५ व्यभिचार ३२२ व्यवहारतिलक ७५ . व्यवहारशिरोमणि ७३ व्याध १३७ व्यास ६३ व्यास पाराशर्य ५४ व्रत १७६ व्रात्य १३७ ब्रात्यस्तोम २५४ शंकराचार्य १३, २५, ६७ शंख २७, ३४, ५०, ५८ शक १३७ शतपथ ब्राह्मण ८, ५०, ४२१ शबर ७, १६, २५, १३७ शरावती २० शस्त्र ५५३ प्रल-महत्ता ४७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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