Book Title: Dharmshastra ka Itihas Shabdanukramanika
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 89
________________ ८४ • धर्मशास्त्र का इतिहास निःश्रेयस नीलकण्ठ २५ नीलाचल ३४४ नृसिह पूर्वोतर सापनी नेकराम शर्मा ३८५ नेति नेति ३३७, ३८, ३६८ ३२६ नचाशारव नमित्तिक नैष कर्म्य सिद्धि नैषध ३४४ नौलि २७५ न्याय ३०३ १२ १५५ १६०, ३२६, ४०० १०१ न्यायप्रकाश ११६ न्यायरत्नाकर ११०, १२१ न्यायसाम्य २१८ न्यायसुधा ११० न्यायसूत्र ३०३ न्यास ६४, ६५ न्यू इण्डियन एण्टीक्वेरी ६, ३८ प पंकप्रक्षालन न्याय २१८ पञ्चगव्य १४५ पञ्चत्व ४० पञ्चप्राण २६६, पञ्च मकार १३, ३७, ३८, ३६, ४० पञ्चशिख २२६, २७, ३५, ३७, ३८, ४०, ५७ पञ्चसिद्धान्तिका ३०१ पञ्चाग्नि विद्या ३५७, ६२, ७५, ७७ पञ्चाधिकरण न्याय २२६ पतञ्जलि ६०, १५२, २४२, ५२, ५३, ६९, ७५, ८३ १२, १७, १८ पदार्थ प्राबल्याधिकरण २१८ पदार्थानुसमय १२०, २१८ पद्मपाद ५४, ६५ पद्मपुराण ६४, ७५, १२१, ७६,२४४, ३७२ पद्मसम्भव ८, ६ पर २६३ Jain Education International परद ४०१ परमात्मा १८, २३४, ३७४ परशुराम कल्पसूत्र १४, १५, १६, १८,३७,८० पराविद्या ३३१ ३६५ पराशर १५३ पराशर माधवीय १६३, १६, २७६ पराशर स्मृति १५३, १६, २०२ परिभाषा प्रकाश १४६, १५६ परिसंख्या १३६, परिसंख्या विधि १३६, १३७ पर्णमयी न्याय २१८ पर्युदास १०, १४, १५० पल्लव ५० पहलव ४०१ पशुन्याय २१८ पशुपुरोडाशन्याय २१८ पाञ्चाल ३४३, ३६० पाणिनि २,६६, ८८, ६०, ६६, १७, १४६, २४६ ३२८, ४४, ८७, ४०१ पातञ्जल योग दर्शन २५१, २६१, ३०२ पातञ्जलसून २६१, ६४ पाताल ३४८ पादिनः २०६ पादुकापञ्चक ८१, ६५ पारमार्थिकी ३३१ पारसीक ४०१ पारस्करगृह्यसूत्र २३६ पारानन्द सूत्र १२, १६, १८, १९, ४२,४३,८१ पाराशर गृह्यसूत १६१ पाराशर्य ६७ पाराशर्य व्यास ६३ पार्थसारथि ११०, ११५ पाल टुकसेन २५२ पाल ब्रण्टन १५१ पाल मुक्स ४१३ पालि ६ पार्टी एण्ड अन्- ब्रिटिश रूल इन इण्डिया ४१५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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