Book Title: Dharmshastra ka Itihas Shabdanukramanika
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 47
________________ ४२ . धर्मशास्त्र का इतिहास पुनरुपनयन १०६३ पुर्नजन्म १०३३, १०६६, १२६८ पुनःस्तोम १०४५ पुराण १०८०, ११५३ पुरुरवस १२५६ पुरुषगति साम १०३७ पुरुषोत्तम तीर्थ १३७६ पुरुषोत्तम मास १३३६ पुरोनुवाक्या ११४५ पुल्कस ११०८ पुष्कर १३०६ पुष्टिश्राद्ध ११२२ पुष्पकृच्छ १०८६ पुत्रिका १२८३, ८९ पूर्त १२८३, ८६ पूर्वज पूजा ११८६ पूर्वमीमांसा सूत्र १०४०, १२४२, ५५ पृथूदक १३७५ पृथ्वी १३२४ पृषदाज्य ११२५, ६२ पेटर ११०६ पैठीनसि १०५० पौण्ड्रक वासुदेव ११४१ पौलस्त्य १०२५ प्रकरणपंचिका ११०६ प्रकीर्णक १०२२, ३२ प्रकृति १२१०, ७३ प्रच्छादन ११८६, ८७ प्रजापति १०७५ प्रजापतिस्मृति १२४१, ६१ प्रणव १०३८ प्रतिष्ठान १३३६ प्रतिसांवत्सरिक १२८६ प्रत्यवनजन १२४६ प्रत्यवसित १०७१ प्रत्याब्दिक श्राद्ध १२८६ प्रत्याम्नाय १०७६ प्रपत्तिकर्म ११२५ प्रभास १३५६ प्रयाग १३२०, २६, २७, ३६ प्रयागल मण्डल. १३२८ प्रयाग में देहत्याग-विधान १३३३, ३४, ३५ प्रयोजक १०२३, ५८ प्रश्नविवाक १०४६ प्रसव ११६२ प्रसृतयावक १०८६ प्रस्तरखण्ड ११२५, ६२ प्राजापत्य १०२८, ६० प्राइविवाक १०४६ प्राणायाम १०३३, ३५ प्रायश्चित १०३३, ३४, ४३ प्रायश्चित तत्त्व १०६६ प्रायश्चित प्रकरण १०६१ प्रायश्चित प्रकाश १०२५, ६६ प्रायश्चित मयूख १०४८ प्रायश्चित मुक्तावली १०२२ प्रायश्चित विवेक १०२३, २५, ३५, ६०, ६१ प्रायश्चित्तसार १०६६ प्रायश्चित्तेन्दुशेखर १०७५ प्रायश्चित्तों के नाम १०८१ प्रारब्ध १३३५ प्राशिवहरण ११२५, ६२ प्रासंगिक पाप १०२२ प्रेतदेह ११५५ प्रोक्षण ११८६, ८७ प्लक्ष-प्रागस्रवण १३०४ प्लेटो ११११ फलकी १३०६ फलकृच्छ १०६१ फल्ग १३५६ फाहियान १३४० फ्लीट, डॉ० १३८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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