Book Title: Dharmshastra ka Itihas Shabdanukramanika
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ ३० • धर्मशास्त्र का इतिहास संसरण ८१६ संसर्ग ८६७ संसृष्टि ९३४-३५ सकुल्य १०५, २६ सगोव १२० सगोत्र असपिण्ड ८६६, ६६५ सगोत्र विवाह ८६६ सञ्चर ६३७ सच्छिष्य सत्यंकार ७८० सत्य ७१५-२० सत्यापाढ श्रौतसूत्र ५२० सदः ७२२ सदाचार ६५८-६५ सन्निधाता ६४५ सपण ७१६ सपिण्ड ८७ ९२६-३१ सप्रतिबन्ध दाय ८३१-४१, ९५९ सप्रत्यय भोग्याधि ७७१ सब्रहमचारी ९२३ सभा सभिक ८३४-३५ सभ्य ७५७ समय ६५०, ७७२, ८०५ समय-क्रिया ७४५ समयस्यानपाकर्म ८०४ ६१६-१७, ७२१-२३ समानगोव १३०-३१ समानोदक १२९-११ समाहर्ता ६४५, ७०२-१० समाह्वय ८.३४ समुद्रगुप्त ५६६ समुद्रगुप्त अभिलेख ५१८. समुद्रयात्रा ६६५ सम्पत्ति ८०६-५३ सम्प्रतिपत्ति ७२८ सम्बन्धज ६९४ सम्भूय- समुत्थान ७६२-६४ Jain Education International सम्राट् ६०४ सरकंडे ७६७ सरकार, के० बी० (डॉ०) ६१७ सरस्वतीविलास ८३८, ०१-४१ सर्वत्रग ७२६ सधान अग्निहोत्र १००६ सहभागिता ८५६ सहोब ८८३-८४-८५ सत्र ६६६ सती साँची ८४५ सागमा ७३० सात्वत राजा ६३६ ६०८ साध्यपाल ७२३ साध्य-सिद्धि ७२७ साभ ६५६, ७१५ सामन्त ८१४ सामाजिक समझोता सिद्धान्त साम्राज्य ६०५ सार्थवाह ६४४ साहस ७२४-३६, ४८, ८१६-२५, २६, ६६०.८४ साक्षी ७१५-३७, ३८, ३६ साक्षीगण ७३५ साक्ष्य ७४३ साक्ष्य पद्धति ७३१-४२ सिद्धि ७५७ सीतापक्ष ६४६ सीमन्तोन्नयन सीमापत्र ७२६ सोमाविवाद ८१३ सुकरात ६०० सुधन्वा ५८१ सुमन्त ६२४ सुरापान ८६७ सुवर्ण ७०१ सुवर्णाध्यक्ष ६४५ For Private & Personal Use Only ५६१-६४ ३०, www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102