Book Title: Dharmshastra ka Itihas Shabdanukramanika
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 28
________________ अनुक्रमणिका . २३ पद ७१७ पद्या ६६५ पन्त अमात्य ६२४ पन्त सचिव ६२४ पन्नालाल ८६४ परदाराभिमर्शन ८२७ परम्परा ९५२, ६६५ परशु ६८५ परशुरामप्रताप ५६७ परस्परोपकार ६६४ पराशर ५७६, ६०२, ७२७ पराशरमाधवीय ७२३. ७२७ परिक्रय ६६४ परिग्रह ८४० परित्याग १००० परिदान ७२६ परिभषण ६६४ परिमितार्थ ६३५-३६ परिवर्तना ८०६ परिवृत्ति ८०६ परिहार ६७२, ७२६ पर्यग्निकरण ६६६, १००६ पल्ली ६४६ . पशुचोर ८२५ पशुपालन ६५३ पशुयज्ञ १००८ . पशूपाकरण ६६६ पश्चात्कार ७५८ पक्ष ७२६ पत्ति ६८० पाणिनि ६०६-१४-१६ पाणिमुक्त ६८७ पातक ८६६ पात्नीवत ६११ पाद ७२७-२८, ७५७ पान्थमुट ८२५ पाराशर ५७६ पारशव ८६१-८३ पारुष्य ८२७ पार्वण ८८७, १२३, ६२५ पार्वत ६६३ पाणिग्राह ६६० पाणिग्राहासार ६६० पिण्ड ६०१ पिण्डलेप ६२६ पितामह ७३४ पितृयज्ञ १८० पिशुन ५७६ पिशुनपुत्र ५७६ पीडनीय ६६० पुण्य-प्रत्यय ७८० पुर ६४६, ६५ पुरीपत्तन ६६५ पुरुष ७२३ पुरुष चोर ८२५ पुरुषार्थ ८६५ पुरु ५६६ पुरुकुत्स ६५३ पुरोहित ६३० पुष्यमित्र ५६५ पुस्तकरण ७१५ पुस्तपाल ६४४ पुत्र ८७८-८१-८७-६३ पुत्रच्छायावह ८६७ पुत्रप्रतिग्रहण ८६४ पुत्रभाग ८६४ . पुत्रिका ८८२-८३-८४-८८ पुत्रिकापुन ८८२-८४-८८ पुत्रीकरण ८६२-६३, ६०० पूग ७२३, ८०५ पूर्णिमान्त ६६१ पूर्तधर्म ८६५ पूर्वक्रमागत भोग ७३३ पूर्वन्याय ७२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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