Book Title: Dharmshastra ka Itihas Shabdanukramanika
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 21
________________ १६ . धर्मशास्त्र का इतिहास अश्वाध्यक्ष ६४७ अष्टका ६५३ अष्ट प्रधान ६२४ अष्टांग ७१५ अष्टादश पद ७१५ असुरविजयी ६०७ अस्थिसंचयन कलिवयं १००१ अस्मार्त काल ७३३ अस्वामि-विक्रय ७८६,६० अस्त्र-शस्त्र ६८५, ६८६, ८७ अदृष्ट पुरुष ६६३ अक्ष ६६०, ७५१ अक्षपटलाध्यक्ष ६४५ अक्षपरि ८३६ अक्षौहिणी ६८० अनि ६०१ आ अभय-शासन ६७३ अभिजात बल ६८७ अभियोग ७१३-१४ । अभिषेक ६०८, ११ अभ्युपेत्याशुश्रूषा ७६८,८०१ अमरकोश ५८२, ६४३ अमात्य ६२३ अमात्यलाभ ६८७ अमान्त ६६१ अमित्र ६७७ अमुक्त ६८६ अयौतिक ६४६ अरणी १००३ अरि ६८९ अरिबल ६७८ अरिमित्र ६६० अर्थ ८६४ अर्थमूल ७१२ अर्थवाद ८६५, १११ अर्थविवाद ७१२ अर्थशास्त्र ५७९-८०, ८१, ८२, ८३ अर्थापत्ति प्रमाण ६६० अर्धाधान-अग्निहोत्र १००६ अवकृत ७८८ अवक्रय ८०८, ६ अवरुद्धा स्त्री ६५० अवेष्टि ५६४ अवान्तर पदाधिकारी ६४७ अवान्तर देश ६४१ अविचिन दण्ड ७६७ अविभक्त कुटुम्ब ८५८ अविभाज्य ८५७ अशुभ ८०१ अशोक महान् ६०४-२१ अश्वघोष ५८० अश्वचोर ८२५ अश्वमेघ १००७ आगम ७३१-३३ आगमाद् दृष्टाच्च ७५८ आग लगाना ७४४ आचरित ७८२ . आचार १०११ आचार-संगत १०१२ आचार्य १३४ आटविक ६७७ आततायी ८२२ आत्मत्याग कलिवर्ण्य १००१ आत्मरक्षण ६६३ आत्मसम्पत् ५९७, ६८६ आत्महत्या १००५ आत्मामिष ६६३ आदित्य ७३३ आधमन ७७८ आधानपत्र ७२६ आधि ७७८-७६-८६ आधिपत्र ७२६ आधिवेदनिक ६४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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