Book Title: Dharmshastra ka Itihas Shabdanukramanika
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 24
________________ अनुक्रमणिका . १९ कोशाध्यक्ष ६४५ कोष ६६७ कौटिल्य ५८५-६१-६३-६६, ६०१-३-८-२४, ६३३ ७६-९८, ७००, ८६१ कौटिलीय ५६० कोणपदन्त ५७६ क्रत्वर्थ ८६५ क्रय ८०६ क्रय-पत्र ७२६ क्रयविक्रयान शय ८०६ क्रिया ७१३-१४ क्रियापाद ७२७ क्रियासंस्कार ८६० क्रीत ८८३-८४-६० क्रीत्वानुशय ८०६ क्रोधजनित ६६८ गुल्म ६८० मूढ ज ८८५ गढोत्पन्न ८८३-८४ गृहपति ८५६ गृहपतिक ६३६ गृही ८५६ गोचर्म ७७६ गोतृप्ति-जल १००५ गोद ८६४ गोप ६४७ गोपथब्राह्मण ८४८ गोप्य ७७८ गोभिलस्मृति ७३ गोवध ८७४, ६६६ गोवत ८६७ गोलक ८८२, ६६३ गोसव-यज्ञ ६६६ गोत्र १०१-२१ गोत्रज ९२०-२६-३० गोत्नभाग ८८४ गोत्र-सपिण्ड ९३० गौण ८८७ गौतम ५६०-६६, ६६१-७०-७२, ७०७-२०, ८२६-५२,६४ गौतमधर्म सूत्र ५८८ गौरशिरा ५७६,५८० ग्रन्थि भेदक ८२५ ग्राम ६४६, ६५० ग्रामिक ७२४ ग्लह ८३४ खन्यध्यक्ष ६४५ खर्वट ६४६ खादिर गृह्यसूत्र ६०१ खारवेल अभिलेख ५९६, ७०५ खारवेल ६०६ खट ६४६ खेय ८१७ गण ६८०, ७२३, ८०५ गणिकाध्यक्ष ६४६ गरुडपुराण ५८४ गाथासप्तशती ६४६ गान्धर्व १४३ गान्धर्ववेद ५८३ गान्धर्वः समयान्मिथः ८०५ गिरिदुर्ग ६६३ गुप्त प्रायश्चित्त र गुरु ६३३ गुरुदक्षिणा १००४ गुरुवत् वृत्तिशीलता १००२ घट ७५४ घटस्फोट ८६७ घोटकमुख ५७६ घोड़े ६८१ चक्रवर्ती ६०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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