________________ 67 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी जिर्णोद्धारमें देते नहि / इसी लिये सबकी नजर पर यह देवद्रव्यकी रकम चड गइ है / गरीबोंकी सहायताके लिए तत्परताकी बात करनेवाले ये, बद्धिजीवी एवं स्वार्थीवर्गमें आदर-सम्मान पाते है / ऐसा जानकर कई लोग ऐसी बातोंको जान बूझकर चिकनाहटके साथ पेश करते हैं / अन्यथा उनकी हाथकी घडीके हीराजडित चेईनको भी मानवताके कार्यमें दान स्वरूपमें देनेके लिए जरा भी उद्यत नहीं / प्रश्न :- (18) अनीतिके धनसे निर्मित जिनमंदिरोंमें ओज-तेज उभरता है क्या ? उत्तर : बिल्कुल उभरे ही नहीं ऐसा तो नहीं कहा जा सकता / शास्त्रकारोंने किसी भी धार्मिककार्यमें नीतिसे अर्जित धनका उपयोग करनेका आग्रह किया है / लेकिन सावधान ! वर्तमानमें 'नीति'की व्याख्या कौन सी है ? यह लाख रूपयोंका सवाल बना पड़ा है / जिसे काला बाजार कहा जाता है, उससे उपार्जित धनको अनीतिका धन कहेंगे ? आयकरकी चोरी द्वारा एकत्रित धनको सचमुच चोरीका धन बतायेंगे ? ___ यह विषय अत्यंत शोचनीय है / प्रश्न :(19) देरासरके निर्माणके लिए ली जानेवाली जमीन, साधारण खातेकी रकमसे ली जाय या देवद्रव्यके खातेमेंसे ? उत्तर : जितनी जमीन पर देरासर निर्माण होनेवाला हो, उतनी जमीनकी खरीदी देवद्रव्यमेंसे की जाय / बाकी कम्पाउन्ड आदिके रूपमें आवश्यक जमीन साधारणमेंसे ही खरीदी जाय / क्योंकि वहाँ बैठकें आदिकी व्यवस्था कर गृहस्थलोग आराम फरमाएँ, बगीचा बनवाया जाय तो उसके फल गृहस्थ ले जाय, तो उस सबको देवद्रव्यकी जमीनमें निर्मित किया न जाय / प्रश्र : (20) अखंड दीप शास्त्रीय है ? उसका निर्वाहखर्च देवद्रव्यमें से किया जाय ? ___उत्तर : अखंड दीपका विशेष विधान नहीं है / धर्मीजन मंगलार्थ सामान्यतः दीप जलता रखते है / अतः यदि रखना ही हो तो, उसका निभाव स्वतन्त्र फंड करके या उसकी उछामनी द्वारा हो तो बहुत अच्छा रहेंगा /