________________ 134 धार्मिक-वहीवट विचार वापस मिलें / परन्तु उतने दिनोंके खर्चके रूपमें प्रत्येक जानवरके सार रूपयोंके हिसाबसे वे पाँजरापोलको पूरी रकम दे दें / इस फैसलेके कारण एक ही जीवदयाप्रेमी मालेगाँव (जि. नासिक)वे. श्रीकेसरीचंद मेहताने अनेक स्थलों पर ट्रकोंको रोककर अठारह हजार जानवरोंको पकड लिये थे, उन तमामको अभयदान मिल गया / संक्षेपमें सप्लाय करनेवाले जानवरोंके मालिक प्रायः कसाई ही होते हैं / सच्चे बनजारे नहीं / उपरान्त, प्रतिदिनके प्रत्येक जानवरके लिए सात रूपये भरनेकी उनकी ताकत नहीं / अतः वे लोग भाग निकलते हैं / अदालतमें शिकायत भी दर्ज नहीं करा सकते / ____ इतना बड़ा लाभ एक ही मुकद्दमा जीतनेसे हो जाता है / ऐसे केसरीचंद भाई और अपना बलिदान देनेवाले गीताबहन जैसे सैंकड़ो कार्यकर्ता तैयार हों तो, लाखो जीवोंको अभयदान प्राप्त होगा / प्रश्न : (132) जीवदयाके रूपयोंका उपयोग अनुकंपा विभागमे किया जा सके या नहीं ? उत्तर : नहीं, नहीं कर सकते / .. जीवदयाके रूपयें जीवोंको अभयदान देने में ही उपयोगमें लाये जाते थे / परन्तु हालमें जीवदया निमित्त चलती अदालतोंकी कार्यवाहीमें उन रकमोंका उपयोग करना उचित होगा / क्योंकि यदि ऐसे किसी एकाध मुकद्दमेंमें भी विजय प्राप्त हो. तो लाखों जीवोंको अभयदान मिल जाय / जब जीवदयाका फंड हो तब ऐसी स्पष्टता हो तो सबसे अधिक अच्छा होगा / जीवदयाकी रकम पांजरापोलोंको ताकतवर बनानेके लिए पांजरापोलोंको दे देना उचित होगा / गुजरात राज्यमें गोवंशवध प्रतिबंध हुआ / इससे पांजरापोलोमें गोवंशकी संख्या बढ जानेकी पूरी संभावना है / ऐसे समय पांजरापोल समृद्ध और स्वनिर्भर बनायी न जायें, तो जानवरोंका स्वीकार न कर सकनेके कारण पुनः वे गैरकानूनी कत्लके शिकार बन पायेंगे / प्रश्न : (133) घरमें माता-पिताको त्रस्त करनेवाला, पलीको मारपीट करनेवाला व्यक्ति यदि जीवदया विभागमें दान करें, तो उसे उचित माना