________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी 137 कत्लखानेको उसने उद्योग (हाय हाय !) जाहिर किया है / पूरी हट्टीकट्टी, दूधार, गर्भवती गाय, भैंसोकी अब तो कत्ल कर दी जाती है / - पूरी क्रूरताके साथ कसाई लोग ट्रकोंमें जानवरोंको भरते हैं / कई तो वहीं उकताकर मरणशरण हो जाते हैं / इन सभी प्रकारके त्रासोंका वर्णन, शब्दों द्वारा होना अशक्य बन पाये, उतना 'बेहद' होता है / ऐसे जानवरोंको खरीदकर जीवदयाप्रेमी लोग पाँजरापोलोमें रख आते थे / यह यथार्थ है / - - सामान्य प्रश्रोत्तरी प्रश्न : (137) कायमी तिथिके व्याजमेंसे, वह कार्य यदि संपन्न होता न हो तो, विशेष रकम कैसे प्राप्तकी जाय ? उत्तर : प्रथम तो कायमी तिथिके दाताको या उसकी गैरहाजिरीमें उनके पुत्रोंसे मिलना चाहिए / अधिक दानका लाभ लेनेके लिए सूचित करें / अथवा जितना घाटा हो, उतना जमा करानेके लिए प्रेरित करें / यदि उसके लिए अनिच्छा बताये तो दूसरे किसी पुण्यशालीके पाससे नया बडा दान स्वीकार कर, उस नामको उसके साथ जोड देनेकी अनुमति माँगे / यदि अनुमति न मिले तो संघ एकत्रित होकर घाटेकी रकमकी पर्ति करे / महँगाई चाहे उतनी बढे, परिणामतः घाटा चाहे उतना हो, उसके कारण मूलभूत दाताका निकाल नहीं जिया जा सकता / उसकी अनुमति मिलने पर दूसरा नाम जोडा जा सकता है / प्रश्न : (138) आजकल कई जैन लोग, बूरे कार्य, अनीतिपूर्ण आचरण द्वारा भारी धन एकत्र करते है, बादमें वे धर्मार्थ खर्च करते हैं। क्या धर्मके क्षेत्रोमें ऐसे धनके उपयोगको उचित समझें ? उत्तर : किस धनको अनीतिके रूपमें समझें उसका फैंसला पहेले करना होगा / "सुलगती समस्या के प्रथम भागमें मेंने कालेबाजारकी कमाईको अनीतिका धन नहीं माना / तद्विषयक दलीलें मैंने वहाँ पेश की हैं / अपने परिवारका भरणपोषण अच्छी तरह हो, उतनी कमाई मनुष्यको करनी पडती है / इसके लिए यदि वह कहीं अनीतिका कार्य करता है तो उसे क्षम्य कर देना चाहिए /