Book Title: Dharmik Vahivat Vichar
Author(s): Chandrashekharvijay
Publisher: Kamal Prakashan

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Page 291
________________ 270 धार्मिक-वहीवट विचार बतायी गयी है / देवद्रव्यकी वृद्धिके लिए ही माला धारण करना आदि कार्य सुज्ञ लोगोंको करने चाहिए ऐसा शास्त्रकार मानते हैं और इसी कारण उस द्रव्यको जिनाज्ञापालकोंसे तो अन्य विभागोंमे लिवाया नहीं ही जाता / (8) बोलियाँ कुसंपनिवारणके लिए कल्पित नहीं, लेकिन शास्त्रोक्त . विचार समीक्षा लेखक : मुनि श्री रामविजयजी (पू. आ. श्री रामचंद्रसूरीश्वरजी म. सा.) प्रकाशक : अहमदाबाद जैन विद्याशाला, सं. 1976

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