________________
भगवान महावीर ने सारी उलझनों को मिटाने के लिए स्याद्वाद का मन्त्र दिया। अपेक्षा को छोड़ने से सारा श्रुत मिथ्याश्रुत हो जाता है। अपेक्षा समझने से मिथ्या श्रुत भी सम्यक् श्रुत हो जाता है । व्यवहार की अपेक्षा से हम अभवी साधु को भी साधु मानते हैं और गृहस्थ में बैठे साधु को भी असाधु मानते हैं, इसलिए वास्तविकता को समझने के लिए स्यादवाद या अपेक्षा-दृष्टि का उपयोग करें ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
आस्तिक्य७५ www.jainelibrary.org